1. गुरूजी से मेरी प्रथम भेट, मेरे जीवन का पहला दिन ।
सत्तर के दशक की बात है, एक दिन सुबह-सुबह श्रीमति शीला चौधरी, जो मेरे ससुराल के पड़ोस में रहती थी, आयी और कहने लगी। ”मेरे गुरुजी के हाथ में ॐ…
उस समय के कुछ दुर्लभ क्षण जब गुरुदेव ने मानव रूप को सुशोभित किया था। व्यक्तिगत घटनाओं को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
– (श्री राजपॉल सेखरी द्वारा लिखित – गुरुदेव के प्रमुख शिष्यों में से एक)
सत्तर के दशक की बात है, एक दिन सुबह-सुबह श्रीमति शीला चौधरी, जो मेरे ससुराल के पड़ोस में रहती थी, आयी और कहने लगी। ”मेरे गुरुजी के हाथ में ॐ…
सन् 2010 की बात है कि दो महीने अमेरिका रहने के बाद जब मैं वापिस आया तो उस समय महाशिवरात्रि का समय नज़दीक था। सभी लोग इसी इंतजार में थे…