184. गुरुजी ने ‘नजर फ्लू’ (Eye Flu) को बम्बई पहुँचने से कुछ दिन पहले ही देख लिया था।

गुरुजी कुछ शिष्यों को साथ लेकर बम्बई पहुंचे और हमेशा की तरह सेवा शुरु कर दी। इतने में अचानक उन्होंने संदीप सेठी को बुलाया और आदेश दिया कि वह फौरन…

183. ‘पहचान’– एक पूर्णतयाः पुष्ट मान्यता।

इस जीवन क्षेत्र में, जो कुछ भी होता है, लगता है कि पहली बार हो रहा है। लेकिन वह पहली बार नहीं बल्कि दोहराया जा रहा होता है। कहीं तो…

182. दो महिलाएं आई और एक ने दूसरी महिला की गुम सोने की चेन की पुनः प्राप्ति (Recovery) की प्रार्थना की।

यह घटना शिवपुरी स्थान से सम्बन्धित है, जहाँ गुरुजी ने मानव जाति के लिए एक अनदेखी व अभूतपूर्व सेवा शुरु की थी। वहाँ हर एक व्यक्ति चाहे वह किसी भी…

181. गुरूजी ने जम्मू के राजू को अपनी माँ की मेडिकल जाँच कराने से मना कर दिया।

करीब 1988-89 की बात है। जम्मू में राजू नाम का एक भक्त सेवादार है। लेकिन गुरुजी के प्रति विश्वास में उसकी माँ, उससे कहीं आगे है। वह अपना एक आरामदायक…

180. गुरुजी ने नागपाल को एक बेटे के लिए वरदान दिया।

गुड़गाँव का नागपाल, गुरुजी का ऐसा शिष्य था, जिसे वे बहुत प्यार करते थे। उसकी तीन वेटियाँ थी लेकिन उसे चौथे बच्चे की तम्मना थी। लेकिन वह बेटे के लिए…

179. माताजी ज्ञान की अवतार हैं।

माताजी ने शिष्यों को लुभाने और उन्हें उनके आध्यात्मिक लक्ष्यों तक पहुंचाने का कार्य चुपचाप किया। शक्ति की अवधि, दीवाली पूजा की रात के बाद सुबह से शुरु होती है।…

178. गुरुजी के आशीर्वाद का कड़ा मनुष्य की सोच से बहुत आगे…. (गुरूजी का कड़ा “एक उत्कृष्ट शक्ति”)

आमतौर पर इसका नाम चूड़ी, कंगन इत्यादि जाना जाता है और आम लोग इसे खरीद कर सजावट के लिए अपने आप पहन लेते हैं। महिलाएं सोने, चाँदी इत्यादि की धातु…

177. गुरुजी ने, एक वृद्ध दम्पति के लिए अपने कमरे में आधा घंटा प्रतीक्षा की।

एक दिन सुबह-सुबह गुरुजी अपने कमरे में बैठे थे। बिट्टू उनकी सेवा में था। उन्होंने कहा, बेटा मुझे खाना दे दो और फार्म के लिए कुछ लोगों के लिए खाना…

176. गुरुजी ने उसकी जाँघ और घुटने पर हाथ रखे और पुन्चू की टाँग की टूटी हड्डियाँ जोड़ दी।

सन् 1985 की घटना है जब बहुत सारे लोग हरिद्वार जा रहे थे। रास्ते में एक बस के साथ टक्कर हुई और कार में बैठी मेरी बड़ी बेटी पुन्चू की…

175. गुरुजी ने मुझे धर्मशाला चलने का संदेश भेजा, और मेरी माँ उस समय मृत्यु-शैय्या पर थी।

सुबह का समय था। मेरे निवास स्थान पंजाबी बाग पर मेरे भाई बहनें और उनके परिवारों के समस्त सदस्य एकत्रित थे। काफी समय से बीमार रहने के कारण आज डॉक्टर…