123. संतलाल जी की गुरुजी के साथ, मनीकरण से ऊपर की अविस्मरणीय यात्रा।

एक बार गुरुजी संतलाल जी को लेकर मनीकरण गये। मनीकरण हिमाचल प्रदेश का एक पवित्र तीर्थ स्थल है। यहाँ पार्वती नदी, अपने अत्याधिक ठण्डे पानी के साथ बहती है और…

122. देवेन्द्र जैन ने लंदन एयरपोर्ट पर गुरुजी से कैमी साबुन अपने सामान में साथ ले जाने की प्रार्थना की।

गुरुजी ने अपना अमेरिका और यूरोप का टुअर, श्री आर. पी. शर्मा, डी. एस. जैन, बक्शी बतरा, देवेन्द्र जैन तथा कई अन्य शिष्यों के साथ पूर्ण किया। एयरपोर्ट की बात…

121. जब मैं अपनी फैक्ट्री, हरियाणा से दिल्ली, स्थानांत्रित कराना चाहता था।

गुरूजी अपने कुछ शिष्यों के साथ, ईस्ट पटेल नगर की सड़क के किनारे खड़े होकर उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान दे रहे थे। वह रात का समय था। मेरे ‘सुपर मॉस्टर’ गुरूजी…

120. जब गुरूजी ने कहा कि उसकी दोनों किडनियाँ ठीक हैं

सन् 2005 की बात है। मैं पंजाबी बाग स्थान पर बैठा, सेवा कर रहा था। एक दम्पति अपने दो व्यस्क बेटों को लेकर मेरे पास आये। उन्होंने मुझसे उन्हें आशीर्वाद…

119. जब गुरुजी ने कहा कि अरुण कुमार ने ग्राहक को जो फनीचर दिया है उसमें दीमक नहीं है।

सन् 1990 की बात है। गुरुजी ने एक अद्भुत रचना रची। अरुण कुमार की कीर्तिनगर में फर्नीचर की फैक्ट्री है। वह पंजाबी बाग में बैठा, स्थान की बैठक और सोने…

118. जब गुरुजी के साथ लॉस-ऐंजलिस एअरपोर्ट पहुँचे और कृष्ण कुमार हमें लेने आया।

सैन-फ्रांसिसको एअरपोर्ट पर गुरुजी तथा माताजी के साथ संतलाल जी, बतरा बक्शी, मैं तथा कुछ अन्य गुरुशिष्य थे। हमें लॉस-ऐंजलिस के लिये फ्लाईट लेनी थी। संयोगवश मैं वहाँ रखे हुए…

117. जब मैं गुरुजी के कमरे में उनके चरणों की सेवा कर रहा था, तो महसूस हुआ कि उनकी बाँयी टाँग अति नरम थी।

मेरी जिन्दगी का यह एक बहुत बड़ा चमत्कार था जो 101% मेरी समझ से परे था। वास्तव में हमारे धर्मग्रन्थ, जैसे ‘शिवपुराण’ का अध्ययन करें तो उसमें इस तरह का…

116. हम सब शिष्यों के बीच में से जब गुरुजी को एक महात्मा ने एक नज़र में ही पहचान लिया।

गुरुजी के पास लोग, अक्सर अपनी समस्याओं तथा दुख एवम् पीड़ा निवृति के लिये आते थे। किन्तु कभी-कभी कोई सन्त महात्मा लोग भी गुरूजी से आशीर्वाद लेने आ जाते थे।…

115. जब माताजी ने एक पतीला दाल बनाई और उसमें एक बड़ा चम्मच नमक डाला।

सत्तर के दशक के अन्त की बात है। जब मैं रविवार के दिन गुरुजी का आशीर्वाद लेने गुडगाँव जाता था और शाम तक उस नये अविश्वस्नीय माहौल में, वहाँ रहता…

114. जब गुरुजी ने ‘महाशिवरात्रि’ और ‘गुरुपूर्णिमा’ पर आने वाले भक्तजनों के लिए लंगर सेवा प्रारम्भ की।

सत्तर के दशक के अन्त में गुरूजी ने गुड़गाँव स्थान पर लंगर सेवा शुरु की। बहुत से लोग, जो दूर दराज़ के गाँव अथवा शहरों में रहते थे, जिन्हें गुरुजी…