सत्तर के दशक की बात है, जब चार साल की मेरी छोटी बेटी ने खेलते हुए अपने आपको घायल कर लिया।
वह गिर गई थी और उसके ऊपर कोई भारी चीज़ गिर गई। जिससे उसके सामने के चार दाँत टूट गये थे। मेरी पत्नी जब अपने डेनटिस्ट के पास गईं तो उसने बताया कि जब से इसके दूध के दाँत टूटे हैं, उसके साथ उनकी जड़े भी खराब हो गई हैं। इसलिए इसके ये दाँत दुबारा नहीं उग सकते। यह सुनते ही मेरी पत्नी बेहोश हो गई। शायद उन दिनों नकली दाँत अधिक प्रचलन में नहीं थे, इसलिए यही सोचकर कि सारी जिन्दगी मेरी बेटी को इसी तरह से रहना होगा, उसे इस बात का झटका लगा।
कुछ वर्षो बाद, हमने गुरुजी के पास जाना शुरु किया और हम गुरुजी के गुड़गांव स्थित शिवपुरी स्थान पर गये।
मैं अपने परिवार के साथ स्थान के हॉल में लाइन में खड़े हुए गुरूजी के आशीर्वाद की प्रतीक्षा कर रहा था। जैसे ही हम गुरुजी के पास पहुंचे मेरी पत्नी ने गुरुजी से अपनी बेटी के टूटे हुए दाँतों के बारे में बताया। गुरुजी ने उसकी बात को सुना और बड़ी सहजता से लिया। उन्होंने उस लड़की के मुँह में अपनी उंगली डाल कर उसके मसूड़ों को छू दिया।
दो हफ्तों के अन्दर ही मेरी लड़की के दाँत दुबारा निकलना शुरु हो गये। और आश्चर्य है…!! वह भी चार साल के अन्तराल के बाद।
उन्होंने इतनी सहजता से, क्या चमत्कार किया,
..वही जानें।