140. जब मेरे ड्राईवर ने कहा कि कार में जिन्दा साँप है तो गुरुजी ने बिना समय लगाये सच्चाई का पता लगा लिया।

शायद सन् 1980 की बात है। मैं नहा रहा था कि अचानक मेरी पत्नी ने दरवाजा खटखटाया। असल में वह डर गई थी और यह जानकर सन्तुष्ट होना चाहती थी…

139. जब गुरूजी ने अपने शिष्य आर. सी. मल्होत्रा जी के अन्दर छिपी धन की चाहत को समाप्त कर दिया।

स्वयं की भावनाओं पर नियन्त्रण और अपनी इच्छाओं को सदैव सम्पूर्णतयाः वश में रखने वाले गुरुजी, अपने शिष्यों को बहुत प्यार करते थे। वे उन्हें भी अपने जैसा बनाना चाहते…

138. जब एक आत्मा ने, गुरुजी की महिमा का गुणगान किया।

डी. एस. जैन एक भक्ति परायण गुरूशिष्य और जगदीश सैंगर एक भक्त है। एक बार डी. एस. जैन को सैंगर का धमकी भरा, फोन आया कि कौन महारथी है मैं…

137. ‘गुरुपूर्णिमा’ जब शिष्य अपने गुरु की पूजा करते हैं।

इस दिन का अपना एक अलग ही महत्व है उन लोगों के लिए, जिन्हें अपने इस जीवन में अपने गुरु का आशीर्वाद मिल गया हो। इस दिन एक शिष्य अपने…

136. जब गुरुजी ने मुझे मोहन सिंह पैलेस में लस्सी पिलाई।

एक दिन सुबह अपने शोरुम जाने से पहले उनके दर्शन करने के लिए मैंने गाड़ी गुरूजी के ऑफिस की तरफ मोड़ दी। गुरुजी को वहाँ पाकर मेरा मन गद्गद् हो…

135. जब गुरूजी ने लाजपत नगर की नीलम जो ब्लड कैंसर से पीड़ित थी, को प्रसाद की फुल्लियाँ दी।

लाजपत नगर में रहने वाली नीलम, एक आर्किटेक्ट की पत्नी जिसे ब्लड़ कैंसर था, बड़े वीरवार के दिन गुड़गाँव पहुंची। उसने गुरुजी से इस बीमारी को ठीक करने के लिये…

134. जब एक बैंक कर्मचारी को उल्टी में हरी मिर्च निकली।

सत्तर के दशक के उत्तरार्ध से लगातार, पंजाबी बाग स्थान पर गुरुजी के आदेश व आध्यात्मिक नियन्त्रण में सेवा होती चली आ रही है। लोग अपने दुख व समस्यायें लेकर…

133. गुरुजी ने अपने अनूठे अन्दाज़ में संदेश देकर, बब्बू को सड़क पर रोका।

मनुष्यों में यह एक आम स्वाभाविक प्रवृति है कि वे चमत्कार देखकर उससे बहुत जल्दी प्रभावित हो जाते हैं। एक बार बब्बू अपने स्कूटर पर तेजी से फैक्ट्री जा रहा…

132. जब मैं गुरूजी के दर्शन करने के लिए गुड़गाँव गया तो सेवादार पूरन ने मुझे गुरूजी से मिलने से रोक दिया।

अस्सी के दशक के अन्त की बात है एक शाम हमेशा की तरह मैं गुरुजी के दर्शन करने हेतु गुड़गाँव गया। इससे पहले कि मैं गुरुजी के कमरे की तरफ…

131. जब गुरूजी, शाम के समय गुड़गाँव स्थान की छत पर खड़े, आकाश की तरफ देख रहे थे।

एक दिन शाम को मैं गुड़गाँव पहुंचा तो पता चला कि गुरुजी छत पर हैं। मैं भी छत पर चला गया और गुरूजी के दर्शन पाकर आनन्दित हो गया। उन्होंने…