172. ज्वाला माता मंदिर पर, –लोहे की चेनों से बंधा हुआ एक विक्षिप्त उन्मत्त तपस्वी।
सत्तर के दशक के शुरुआती दिनों में गुरूजी हिमाचल प्रदेश के पर्वतों में यात्राऐं किया करते थे। हालाँकि इन यात्राओं का कार्यक्रम उनके ऑफिस वाले बनाते थे, परन्तु इनकी रुपरेखा…