89. जब संतलाल जी ने गुरुजी से गुड़गाँव वाले फार्म में आलू की पैदावार के बारे में बात की।

गुरुजी अपने कमरे में बैठे थे, मैं भी अन्य शिष्यों के साथ उनके पास बैठा था। संतलाल जी, गुरुजी के प्रिय शिष्यों में से एक हैं। जब गुरुजी प्रसन्न-मुद्रा (Light…

88. जब मैंने अपने आप को भूख से व्याकुल महसूस किया।

प्रत्येक बड़े-वीरवार से पहले आने वाले बुद्धवार रात को माता जी, सभी शिष्यों और सेवादारों को स्वयं खाना खिलाती थी। मैं भी रात के समय गुड़गाँव पहुंचा और माताजी को…

87. जब फोटो के भरे बैग में से गुरूजी ने उसकी बेटी की फोटो निकाली।

गुरुपूर्णिमा का समय था। मुम्बई से ‘वीरजी’ के नेतृत्व में मुम्बई स्थान के लोगों के एक ग्रुप में दिनेश भंडारे जो आध्यात्मिक ज्ञान का जिज्ञासु था, अपने दिमाग में सिर्फ…

86. जब गुरुजी ने 1984 के दंगों से एक रात पहले बड़े वीरवार की सेवा स्थगित कर दी।

प्रत्येक बड़े वीरवार के दिन, गुरूजी से आशीर्वाद लेने वाले लोगों की भीड़ लगातार बढ़ती ही चली जा रही थी। इस तरह दिन-ब-दिन लोगों की बढ़ती हुई संख्या को देखते…

85. जब गुरूजी ने एक महिला के बिगड़े हुए खराब चेहरे को कुछ दिनों में ही ठीक कर दिया।

एक व्यक्ति, अपनी पत्नी को जिसके चेहरे की हालत बहुत खराब व बिगड़ी हुई थी, गुरूजी के पास लेकर आया और उन्हें बताते हुए प्रार्थना करने लगा कि गुरुजी यह…

84. गुरुजी ने, अली असगर को मिरगी के रोग से मुक्त किया।

जम्मू के मुश्ताक मौहम्मद जाफरी के साथ मेरे व्यापारिक सम्बन्ध थे। एक बार वे अपनी पत्नी और बेटे के साथ दिल्ली आये तो मेरी उनसे फोन पर बात हुई। उन्होंने…

83. जब गुरूजी के पास एक प्रेत-गसित जवान लड़का आया।

गुड़गाँव स्थान पर, गुड़गांव के एक उद्योगपति का जवान बेटा, जो प्रेत-ग्रसित था, अपने पिता के साथ आया और आते ही अव्यवहारिक बर्ताव करना शुरु कर दिया। वह ऐसे बर्ताव…

82. जब एक जर्मन फोटोग्राफर, गुरूजी की फोटो खींचना चाहता था।

अस्सी के दशक की महाशिवरात्रि समारोह की बात है, सम्पूर्ण भारत के अलावा विश्व के अन्य देशों से भी लोग इसमें शामिल होने के लिए गुड़गाँव में एकत्र हुए थे।…

81. गुरुजी की अर्धागिनी माता जी, अन्नपूर्णा हैं…||

गुरूजी ने, मेरी दो बेटियों के लिये गुड़गाँव स्थान पर दो लड़कों का चुनाव किया। गुरुजी ने मुझे बच्चों के शगुन करने के लिये एक छोटा सा समारोह करने की…

80. गुरुजी अधिकतर लम्बी सेवा के बीच हम शिष्यों को मध्यान्तर (Interval) देते थे।

मध्यान्तर (Interval) का समय, यह समय हम सब के लिये एक प्यार तथा मस्ती का समय होता था जिसमें हम साधारण बातचीत करते थे। इसमें गुरुजी, सभी शिष्यों को उनके…