118. जब गुरुजी के साथ लॉस-ऐंजलिस एअरपोर्ट पहुँचे और कृष्ण कुमार हमें लेने आया।

सैन-फ्रांसिसको एअरपोर्ट पर गुरुजी तथा माताजी के साथ संतलाल जी, बतरा बक्शी, मैं तथा कुछ अन्य गुरुशिष्य थे। हमें लॉस-ऐंजलिस के लिये फ्लाईट लेनी थी। संयोगवश मैं वहाँ रखे हुए…

117. जब मैं गुरुजी के कमरे में उनके चरणों की सेवा कर रहा था, तो महसूस हुआ कि उनकी बाँयी टाँग अति नरम थी।

मेरी जिन्दगी का यह एक बहुत बड़ा चमत्कार था जो 101% मेरी समझ से परे था। वास्तव में हमारे धर्मग्रन्थ, जैसे ‘शिवपुराण’ का अध्ययन करें तो उसमें इस तरह का…

116. हम सब शिष्यों के बीच में से जब गुरुजी को एक महात्मा ने एक नज़र में ही पहचान लिया।

गुरुजी के पास लोग, अक्सर अपनी समस्याओं तथा दुख एवम् पीड़ा निवृति के लिये आते थे। किन्तु कभी-कभी कोई सन्त महात्मा लोग भी गुरूजी से आशीर्वाद लेने आ जाते थे।…

115. जब माताजी ने एक पतीला दाल बनाई और उसमें एक बड़ा चम्मच नमक डाला।

सत्तर के दशक के अन्त की बात है। जब मैं रविवार के दिन गुरुजी का आशीर्वाद लेने गुडगाँव जाता था और शाम तक उस नये अविश्वस्नीय माहौल में, वहाँ रहता…

114. जब गुरुजी ने ‘महाशिवरात्रि’ और ‘गुरुपूर्णिमा’ पर आने वाले भक्तजनों के लिए लंगर सेवा प्रारम्भ की।

सत्तर के दशक के अन्त में गुरूजी ने गुड़गाँव स्थान पर लंगर सेवा शुरु की। बहुत से लोग, जो दूर दराज़ के गाँव अथवा शहरों में रहते थे, जिन्हें गुरुजी…

113. जब गुरुजी ने मुझे गाली देकर छेड़ते हुए कहा “YOU IDIOT” अब तू गुरू को भी आशीर्वाद देगा?

पंजाबी बाग में सेवा का दिन था। बहुत से लोग एकत्र हुए थे और वह एक-एक करके आशीर्वाद लेने के लिये मेरे पास आ रहे थे। लोगों को इस तरह…

112. जब एक महिला दस साल पहले गुरुजी के सामने की गई गलती की माफी माँगने, मेरे पास आई।

गुड़गाँव स्थान पर मैं सेवा कर रहा था। वहाँ पर बहुत से लोग थे। सबसे अन्त में एक महिला अपनी एक विचित्र सी समस्या लेकर, मेरे पास आई और कहने…

111. जब गुरुजी चामुण्डा दर्शन के लिये मुझे और अन्य शिष्यों को मैसूर लेकर गये।

गुरुजी मुझे तथा कुछ अन्य शिष्यों को, कुछ दिनों के लिये बैंगलौर ले गये। कुछ दिन बाद किसी शिष्य ने गुरुजी से मैसूर के चामुण्डा मंदिर के दर्शन करने की…

110. जब सतनाम सिंह उर्फ मंगा का एक्सीडेन्ट हुआ और डॉक्टर ने कहा बचने की कोई उम्मीद नहीं है।

सतनाम सिंह उर्फ मंगा की दिल्ली में एक वर्कशाप थी। वह अपनी खराद मशीन पर भारी-भारी मशीनों के पुर्जे बनाने का काम किया करता था। एक बार जब वह अपनी…

109. गुरुजी नागपुर में थे टेलीफोन पर बात कर रहे थे जबकि दरवाजे पर बाहर से ताला लगा था।

गुरुजी नागपुर में जब अपने ऑफिश्यिल टूअर पर थे तो उन दिनों दूर संचार के लिए, केवल स्थाई टेलीफोन (Land Line Telephone) ही उपलब्ध था। यह उपकथा वहीं पर घटित…