148. जब बड़े वीरवार के दिन मध्यान्तर के दौरान, रवि त्रेहन के लिए गाना गाने के बाद, मैं बोल भी नहीं सका।

अस्सी के दशक की शुरुआत की बात है। गुड़गाँव स्थान पर असंख्य लोग थे और सम्पूर्ण वातावरण में सिर्फ एक ही आवाज सुनाई दे रही थी और वह थी ‘गुरुजी’।…

147. जब शिष्यों ने लंदन में खरीदारी की और गुरुजी ने पाउण्ड्स में उसका भुगतान किया।

गुरुजी अपने शिष्यों, जिनमें श्री आर. पी. शर्मा, सबरवाल, सरदार बक्शी तथा कुछ और भी शिष्य थे, को लेकर लंदन गये हुए थे। एक डॉक्टर जो ब्लैक पूल में रहता…

146. जब गुरूजी ओ. पी. आहूजा से बोले कि वे इस व्यक्ति का इन्तजार पाँच साल से कर रहे थे।

ओ. पी. आहूजा, आयकर विभाग में एक अधिकारी के पद पर कार्य करता था। वह गुरुजी के पास आया और बोला, “गुरुजी, मेरे विभाग में एक ऑफिसर है जिसका नाम…

145. जब एक रात में गुरुजी ने ‘वीरजी’ की भांजी के चेहरे का मुहासा दूर कर दिया।

गुरुजी गुड़गाँव में थे और अचानक एक गम्भीर समस्या मुम्बई में गुरुशिष्य ‘वीरजी’ के परिवार में आ गयी। ‘गुरुशिष्य वीरजी’ की भाँजी ने आत्महत्या करने की धमकी दे डाली थी।…

144. जब सेना के जनरल जगदीश अपने बच्चों के लिये कानूनी संरक्षण का अधिकार माँगा।

एक बार पंजाबी बाग में सेवा करते समय एक खूबसूरत नौजवान मेरे पास आया और मुझसे अकेले में बात करने की प्रार्थना की। उसे अपने साथ लेकर मैं ड्राईंग रुम…

143. जब कृष्ण कुमार साहनी और उसकी पत्नी स्वर्ण से, गुरुजी गोल मार्किट में मिले ।

यह पता लगने के बाद कि गुरुजी, गोल मार्किट में स्थित बक्शी बतरा जी के घर पर हैं, कृष्ण कुमार अपनी पत्नी को साथ लेकर गुरुजी के दर्शन करने के…

142. गुरुजी की तस्वीर स्कूल प्रिंसीपल के ऑफिस की दीवार पर लगी थी लेकिन वह गुरुजी के बारे में कुछ नहीं जानता था।

एक दम्पति अपने बच्चे के दाखिले के लिये एक स्कूल में गये। जब वह प्रिंसीपल के ऑफिस में पहुंचे तो दीवार पर लगी गुरूजी की तस्वीर को देख कर प्रसन्न…

141. जब सन्नी कत्याल की पुरानी सिरदर्द गुरुजी के एक अद्भुत क्रिया से बिलकुल ठीक हो गई।

गुड़गाँव का सन्नी कत्याल, जो बिटू कत्याल का छोटा भाई है, बहुत लम्बे समय से सिरदर्द से परेशान था। उसे जल्दी-जल्दी सिरदर्द होती थी और गुरुजी उसको ठीक कर देते…

140. जब मेरे ड्राईवर ने कहा कि कार में जिन्दा साँप है तो गुरुजी ने बिना समय लगाये सच्चाई का पता लगा लिया।

शायद सन् 1980 की बात है। मैं नहा रहा था कि अचानक मेरी पत्नी ने दरवाजा खटखटाया। असल में वह डर गई थी और यह जानकर सन्तुष्ट होना चाहती थी…

139. जब गुरूजी ने अपने शिष्य आर. सी. मल्होत्रा जी के अन्दर छिपी धन की चाहत को समाप्त कर दिया।

स्वयं की भावनाओं पर नियन्त्रण और अपनी इच्छाओं को सदैव सम्पूर्णतयाः वश में रखने वाले गुरुजी, अपने शिष्यों को बहुत प्यार करते थे। वे उन्हें भी अपने जैसा बनाना चाहते…