4. शिवपुरी स्थान पर जब गुरुजी ने, मेरी बेटी के दाँत पुनः चार साल के अन्तराल के बाद, दुबारा उगाये।

सत्तर के दशक की बात है, जब चार साल की मेरी छोटी बेटी ने खेलते हुए अपने आपको घायल कर लिया। वह गिर गई थी और उसके ऊपर कोई भारी…

3. पहली बार मैंने जब, किसी को ठीक किया।

रविवार का दिन था, मैं हमेशा की तरह सुबह पंजाबी बाग कल्ब से टेनिस खेलकर घर लौट रहा था। अचानक मेरे दिमाग में ख्याल आया कि क्यों न मैं घर…

2. गुरुजी के पास छुट्टियों में जाना।

गुड़गाँव गुरुजी के पास पहले मैंने रविवार और छुट्टी के दिन ही जाना शुरु किया। जब मैं उनके पास जाता तो देखता कि वहाँ बहुत से लोग तरह-तरह की बीमारियों…

1. गुरूजी से मेरी प्रथम भेट, मेरे जीवन का पहला दिन ।

सत्तर के दशक की बात है, एक दिन सुबह-सुबह श्रीमति शीला चौधरी, जो मेरे ससुराल के पड़ोस में रहती थी, आयी और कहने लगी। ”मेरे गुरुजी के हाथ में ॐ…