यह बात करीब 1987 की है जब बिटू गुरुजी के कमरे में आया तो वह परेशान लग रहा था। हालाँकि गुरुजी सबकुछ जानते थे लेकिन फिर भी सरलता से उसकी परेशानी का कारण पूछा। बिटू ने ऊपर देखा और कहा कि वह अपनी व्यापारिक समस्या के कारण परेशान है। कहने लगा कि उसने किसी को चैक दिये थे और उम्मीद है कि भुगतान के लिए उसके बैंक में सोमवार को आयेंगे। लेकिन उसके खाते में पर्याप्त धनराशि नहीं है, इसलिए उसे लग रहा है कि उसके चैक बिना भुगतान के वापिस (Bounced) हो जायेगें।
गुरुजी ने अपने बिस्तर के गद्दे को कोने से उठाया और उसके नीचे रखे नोटों के बंडल उसे दिखाये और कहा कि ये तुम ले लो और अपना काम चला लो। बिटू के मन को शान्ति मिल गई। बोला कि वह ये सोमवार को ले लेगा क्योंकि कल तो रविवार है और अब बैंक बन्द हो गया है।
सोमवार को गुरुजी सुबह ही निकल गये और रात को देर से लौटे। उन्होंने बिट्टू को हल्के से डाँटते हुए कहा कि उसने वह पैसे नहीं लिए थे तो फिर कोई और ज़रुरतमंद आ गया और मैंने वो पैसे उसे दे दिये।
बिटू चिंता में डूबा हुआ चला तो गया पर अगले दिन पता किया तो चेक बैंक में अभी नहीं आये थे। रात को बिटू फिर आया तो गुरूजी कहने लगे, “तू फिकर न कर…! जा, मेरी चैक बुक ले आ।” बिटू ने कहा, “रात के दो बजे हैं, मैं सुबह ले लूंगा चैक।”
सुबह जब वह कमरे में गया तो गुरूजी जा चुके थे और अगला दिन भी बीत गया लेकिन बिटू को चैक नहीं मिल सका। परन्तु उसके बैंक की स्थिति अभी तक सामान्य थी और कोई भी चेक भुगतान के लिए नहीं आया था। …और इस तरह कुछ दिन और बीत गये।
अगले शनिवार खिले हुए शानदार मूड में बिटू गुरुजी के कमरे में आया। वह गुरुजी के चरण-कमल दबाते हुए बोला, “मेरी बिजनेस पेमेन्टस तो मेरे खाते में आ गयी हैं लेकिन कमाल है कि मेरे काटे हुए चैक, अभी तक मेरे बैंक में नहीं आए हैं।” उसने कहा, “गुरुजी, आप क्या करते हैं, ये मुझे नहीं पता लेकिन सात दिन तक भुगतान के चैक बैंक मे ना आये, ये समझ से बाहर है।”
…और अब गुरुजी ने दिखा दिया एक और करिश्मा। गुरूजी ने अपने गद्दे का वोही कौना फिर से उठाया और कहा, “देखो पिछले शनिवार के पैसे अभी भी वहीं हैं, मैंने यह किसी को नहीं दिये थे। तेरा गुरू पर विश्वास दृढ़ करने के लिए मैंने यह एक रचना की थी।
….एक बार मुझसे कह दिया तो चिंता नहीं अपितु विश्वास जरुरी है
कि काम तो होगा ही होगा। वाह—– | हे गुरुदेव….,
मैं आपकी महिमा का गुणगान कैसे करूं।
मेरी सीमाएँ तो आपने स्वयं निधारित की हुई हैं।